पीर ख्वाजा सैय्यद का इतिहास क्या है?
आपने भी हरी चादर लेकर घूमते कुछ दाढी वालों को देखा होगा या बहुत लोग पीर की पूजा करने जाते हैं। आखिर क्या है पीर? मुस्लिम राजा का यह एक अधिकारी होता था, जिसे पीर कहा जाता था। जिसकी नौ गज के घेरे तक सुरक्षा रहती थी, जैसे आजकल सुरक्षा कमांडो मुख्यमंत्री को घेरा बनाकर चलते हैं। गावों में लगान आदि इकट्टा करने का जिम्मा पीर का होता था। रैवैन्यु गांव के एक निश्चित स्थान पर सभी लोग उस पीर के पास जाकर मुगलों का टैक्स देते थे। वो टैक्स केवल हिंदूओं पर ही था जिसको जजिया कर भी कहते थे।
जो हिन्दू परिवार वह जजिया कर देने से मना कर देता था, तो उस पीर के साथ नौ गज के घेरे में रहने वाले सुरक्षा कर्मी, गांव में सबके सामने उस जजिया कर न चुकाने वाले परिवार की सबसे सुंदर बहु या बेटी को नंगा करके लाते थे, व सबके सामने उसके साथ बलात्कार किया जाता था। ताकि किसी की हिम्मत ना पड़े बाद में जजिया कर देने से मना करने से। सबके सामने हो रहे इस घिनौने बलात्कार के समय कुछ लोग उस बहु बेटी के उपर चादर डाल देते थे, व गांव के बाकी लोग डर के मारे लगान व जजिया कर (पैसा) उसी चादर के उपर या उसके पास धड़ाधड़ डालते चले जाते थे। और हाथ जोड़ लेते थे सिर झुकाते थे कि कहीं उनके उपर भी पीर या उसके नौ गज के घेरे वाले सुरक्षा देने वाले मुल्ले कोई अत्याचार ना करें।
यह है उन पीरों की सच्चाई, जब वह दुष्ट नीच पीर मरे थे तब भी मूर्ख अज्ञानी हिंदुओ में उनके प्रति वही घबराहट व भयंकर खौफ बना रहा और फिर यह पीढी दर पीढी परम्परा लोगों के दिमाग में बैठ गई। ऐसे क्रुर पीरों के मरने के सदियों बाद भी मूर्ख हिंदु डर के मारे उनकी कब्रों पर वही चादर व पैसा चढ़ाता है। अर्थात् जिस जिस पीरो ने मूर्ख हिंदुओं की बहिन बेटियों की इज्जत लूटी, यह मूर्ख उनकी ही कब्रों ( पीरो) पर माथा रगड़ता फिरता है। कहीं नौकरी मांगता फिरता है तो कहीं पुत्र और धन दौलत व व्यापार या तरक्की के लिए माथा रगड़ता है।
क्या इससे अधिक कायरता व मूर्खता की मिसाल दुनियां में कहीं मिल सकती है।
विशेष:-- पीर से ज्यादा अधिकार और क्षेत्रफल ख्वाजा के पास होता था और वह पीर से भी ज्यादा अत्याचार लुटखसूट करता था और उससे भी ज्यादा अधिकार सैय्यद को मिले होते थे। और वह अपने अधिन जनता पर अत्याधिक अनाचार अत्याचार दुराचार करता था उसी भय से आज भी हिन्दू उनसे डरते हैं और उनकी मजारों पर चदर चढ़ाते हैं और उनकी जय तक बोलते हैं।
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Dharma