चमार और भंगी भी मुसलमानो ने ही बनाये



ताज महल = मुसलमानों ने बनाया
लाल किला = मुसलमानों ने बनाये
कुतुबमीनार = मुसलमानों ने बनाई
चार मीनार = मुसलमानों ने बनाई
गोल गुम्बज = मुसलमानों ने बनाया
लाल दरवाजे = मुसलमानों ने बनाये


ताजमहल के समकालीन 56 मुसलिम कंट्री में एक भी स्थापत्य कला का उदाहरण दिखला दो? जो मुगल अऱब में एक दिवार नही बना पाए थे, वे जाहिल भारत आते ही ताजमहल और लालकिला, कुतुबमीनार कैसे बनाने लगे? दरअसल बनाया नही बल्कि पहले से बनी चीजों को छीन अपना नाम इतिहास में लिखवाया है। चमार और भंगी भी मुसलमानो ने ही बनाये है, ये नही बताया क्यों? हिन्दू सनातन काल से चमड़े का प्रयोग अपवित्र मानता था।

याद है वैदिक सन्त या वैदिक लोग अपने पैरों में लकडी की खड़ाऊ पहना करते थे, क्यों? क्योंकि चमडे का प्रयोग हिन्दू करता ही नही था, इसका सीधा सा मतलब है कि चमड़ा का काम करने वाली जाति चमार तो हिंदुओ ने बनायी नही। सीधी बात, मुस्लिम सेनाओ और लोगों को चमड़े की जरूरत होती थी, इसलिए युद्ब बंदियों को चमडे के काम में धकेलकर चमार बनाया गया। 36 बिरादरी को गाय का चमडा छीलने के कारण उन चर्मकारों का बहिष्कार कर दिया और वही आज अछूत बन गये। ये बहिस्कार जाति के कारण नही उनके घृणित कर्म के कारण हुआ था। दलितों पर अत्याचार किसने किया? अछूत जातियाँ किसने बनाई?

हजारो साल से हिंदुओ मे परम्परा रही है खुले मे शौच जाने की। घर के अंदर शौचालय लोग अपवित्र मानते थे। आज भी गांव देहात मे लोग घर मे शौचालय नही बनाते उदाहरण स्वरूप आप टायलेट एक प्रेमकथा फिल्म देखलें। जबकि मुस्लिम काल मे मुस्लिमों में पर्दा प्रथा के कारण औरते खुले मे नही जाती थी, इसलिये मुसलमान अपने घरों के अंदर शौचालय बनाते थे तथा मैला फिकवाने के लिये जिन लोगो का प्रयोग हुआ वे मेहतर कहलाये। इन्ही निम्न कर्यो के कारण ये अछूत बने। अब सीधा सा मतलब ये है कि चमार और मेहतर समाज को बनाने का जिम्मेदार ब्राहण नही है और ब्राह्मण को निशाना बनाकर संस्कृत और संस्कृति को मिटाने की साजिश है और ये सब केवल मुसलमानों ने वामपंथियो को साथ लेकर ही किया है।


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