Who says caste is asked in temples | कौन कहता है मंदिरों में जाति पूछी जाती है

कौन कहता है मंदिरों में जाति पूछी जाती है ?

जाति मंदिरों में नहीं पूछी जाती है

संविधान में पूछी जाती है, सरकारी नौकरी में पूछी जाती हैं, राशन, स्कालरशिप और हर संस्थानो में पूछी जाती है।”

फिर कौन हैं जो मंदिरो पर आरोप लगाते हैं

ब्राह्मण का बेटा ब्राह्मण और शूद्र का बेटा शूद्र ही रहेगा, यह बात मनुस्मृति नही, बल्कि भारतीय संविधान का जाति प्रमाण पत्र कहता है !

बाकी सनातन धर्म में तो सभी के सद्मार्ग और मोक्ष आदि का विधान है।

पहले के जमाने मे कमाने खाने के लिए सरकारी नौकरी तो होती नही थी।

ब्राह्मणों ने

पूरा फर्नीचर व्यवसाय बढ़ई को दिया।
रियल सेक्टर कुम्हार को दिया।
लेदर का व्यवसाय चर्मकार को दिया।

डिलीवरी का व्यवसाय भी चर्मकार को दिया ।
दूध का व्यवसाय यादव को दिया।
टेक्सटाइल का दर्जी को दिया।

हथियार का व्यवसाय लुहार को दिया।
बर्तन का ठठेरे को दिया।
पत्तल का बारी को दिया।

सूप का धरिकार को दिया।
चूड़ी व्यवसाय मलिहार को दिया।
मीट का खटीक को दिया।

फूल का माली को दिया।
तेल का व्यवसाय तेली को दिया।
जिससे सबको रोजगार मिला।

इन सारे सम्मानित व्यवसाइयों को आज संविधान ने पिछड़ा अछूत बना दिया है। क्षत्रियों को वो काम दिया जिससे जवानी में औरतें विधवा और बच्चे अनाथ हो जाते हैं। जो कोई भी नही करना चाहेगा अपने लिए भिक्षा माँगना और अध्यापन रखा आखिर सब व्यवसाय जिससे भारत पूरी दुनिया मे सोने की चिड़िया था। ब्राह्मणों ने क्षत्रियों के हिस्से में बलिदान दिया और स्वयं ब्राह्मणों के हिस्से में भिक्षाटन आया तो फिर उन्होंने जाति व्यवस्था में अन्याय कैसे किया?

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