Hindutvikarn of criminals | अपराधियों का हिंदुत्वकरण कैसे किया जाए

अपराधियों का हिंदुत्वकरण कैसे किया जाए


हिन्दू समाज को अब भारत माता की नसों में दौड़ रहे उन विषाणुओं का उपचार करते हुए समुचित उपयोग करना सीखना होगा जिन हिन्दू अपराधियों से जेलें भरी पड़ी हैं। इस देश में लाखों हिन्दू दुस्साहसी लड़के हैं, पर उनकी अकड़, लड़ने-भिड़ने की शक्ति आजकल कॉलेज या मोहल्लों की लड़ाई से आगे नहीं बढ़ पाती। ज्यादा से ज्यादा अपनी जाति के लिए दूसरी हिन्दू जाति के खिलाफ लट्ठ भांज लेते हैं या किसी छिटपुट नेता के चमचे बन जाते हैं और फालतू की गैंगवार करते हैं। इनमें से कोई एकाध ऊपर उठता है तो पैसों का लालची हो जाता है, फिर हिन्दुओं को ही लूटकर अय्याशी करता है या एक दिन पुलिस उसका एनकाउंटर कर देती है।

आजाद और भगत सिंह अब नहीं आते, और आते हैं तो सीमा पर लड़ने चले जाते हैं, या बन्दूक हाथ में लिए अपने ही देश में विवश होकर नीचों के पत्थर खाते हैं। बाकी कोई हिंदूवादी होता है तो कायर हिन्दू संगठनों का चेला बनकर पौरुष खो देता है। इनके घर के बाहर की नाली में भी कोई संपोला गिर जाए तो ये तुरंत घर की ओर नमकीन-बिस्कुट लाने के लिए दौड़ पड़ते हैं। वे जिहादियों/झामपंथियों को कैसे सबक सिखाएंगे? हिंदुओं में दुर्दांत बहादुरों, चालकों, षड्यंत्रकारियों की कमी नहीं है पर वो परमलक्ष्य नहीं जानते और क्षुद्र विषयों में अपनी शक्ति और हुनर गंवाते हैं।

चार इंच जमीन के लिए अपने कमजोर भाइयों पर जोर चलाने वाले ये हिन्दू अपराधी, अगर अपनी शक्ति का सदुपयोग अपने धर्म एवं माँ भारती के लिए करें तो भला इससे श्रेयस्कर और क्या होगा? क्योंकि सरकार या न्यायालय कुछ करते नहीं, आम आदमी कुछ कर नहीं सकता। बतोलेबाज नेता अपनी बेटियां शांतिदूतों को सौंप देते हैं, तो ऐसी स्थिति में कब तक प्रतीक्षा की जा सकती है? और इन हिन्दू वीरों के लिए यह करना बेहद सरल होगा।


हिन्दू अपराधियों में हिंदुत्व की भावना जगानी चाहिए। फिर जब वे किसी को धर्म या राष्ट्र का अपमान करता देखेंगे तो किसी फेसबुकिये की तरह "इसे मार देना चाहिए" मात्र कहकर चुप नहीं बैठेंगे, बल्कि करारा जवाब देंगे। पुलवामा हमले के समय फरवरी में इसका उदाहरण भी आ गया था। जयपुर में सिमी और लश्कर ए तैयबा का आतंकी शकीरुल्लाह जेल में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगवा रहा था। टीवी देखते समय हिन्दू कैदियों ने पीट-पीटकर उसे यमलोक के चूल्हे का ईंधन बनने हेतु रवाना कर दिया था। वहीं पूर्व दस्यु सरगना राजा मलखान सिंह ने स्वयं सरकार से कहा था कि बीहड़ में 700 बागी बचे हैं, सरकार इजाजत दे तो साथियों के साथ पाकिस्तान को धूल चटाने को तैयार हूँ। हमें कोई सम्मान या वेतन नहीं चाहिए।

सुनील राठी जिसने जेल में बंद मुन्ना बजरंगी को भून कर रख दिया दिया और हिंदुत्ववादी विधायक कृष्णानन्द राय की हत्या का बदला लिया वो शेर एक हिन्दू है। ऐसे ऐसे नरनाहर भरे पड़े हैं देश में, पर उनमें से अधिकतर को अपने धर्म के प्रति कर्तव्य का भान नहीं। वे अपनी ऊर्जा व शक्ति आपस में ही लड़कर खत्म कर देते हैं। अगर वो थोड़ा सा भी धर्म की ओर सोचने लगें तो मजाल है किसी सूअर की जो हिन्दू धर्म या राष्ट्रवाद का अपमान करने का सपने में भी सोच सके?

जैसे खुले आम श्रीमद्भागवत गीता की प्रति फाड़ी गई। सोचिये अगर अमरिंदर सिंह के कानून का विरोध करना था तो गुरु ग्रंथ साहिब तो नहीं फाड़ी गई न। क्योंकि उसका एक पन्ना फाड़ते ही फाड़ने वाले की गर्दन फाड़ दी जाती। कुरान की बेअदबी करने वाले का इससे बुरा हश्र होता। केवल हिन्दू ही है जिसका प्रत्येक कुत्ता पिल्ला आजकल अपमान करता फिर रहा है और कोई कुछ नहीं करता। जब तक ये डर नहीं होगा कि श्रीप्रकाश शुक्ला जैसा खूंखार आदमी हिंदूद्रोह को बर्दाश्त नहीं करेगा तब तक ये लोग नही रुकेंगे।


अंडरवर्ल्ड का सबसे बड़ा खूंखार था मान्या सुर्वे। जिसने सबके सामने ही दाऊद के भाई शब्बीर को गोलियों से उड़ा दिया था। उसने दाऊद पर भी गोलियां चलाईं थी पर वह बच निकला। दाऊद गैंग और अफगानी माफिया मान्या सुर्वे का नाम सुनकर पैंट गीली किया करते थे। पर षड्यंत्र समझें या कुछ और पुलिस ने इसकी हत्या कर दी। इतिहास प्रमाण है मान्या की हत्या के बाद ही दाऊद मुम्बई पर हावी हुआ और 1992 का हमला उसने किया।

इस षड्यंत्र को कौन समझेगा कि मान्या सुर्वे तो मारा गया पर दाऊद आज तक खुला घूम रहा है। ऐसे ही शेर सिंह राणा भी एक हिन्दू ही है जिसने अद्भुत वीरता दिखाकर पृथ्वीराज चौहान की अस्थियां वापिस लौटाईं। हिंदुओं में पराक्रमियों की गिनती नहीं है। आप देखिये कि इनके डॉन आज पाकिस्तान के बैंकों तक को फाईनेंस करने की ताकत रखता हैं। ऐसे ही शकील, डेफिनिट, परपेंडिकुलर, सलमान होते हैं। और हमारे बाबू भाई, मुन्ना डॉन, रॉकी या राजन जेलों में सड़ते हैं। बजरंग दल वाले केवल वैलेंटाइन पर दूसरों की बहनों को बचाने के कारण भद्दे जोक्स और अपमान के शिकार बनते हैं और जिहादियों के लिए उन्हीं की छातियों में दूध उतरा रहता है।

विश्व की कोई भी सेना आतंकवाद का पूर्ण खात्मा नहीं कर सकती। क्योंकि इस्लामिक आतंकवादी का सबसे बड़ा लालच केवल जन्नत होती है, पैसा, पद या जमीन नहीं। जबकि हर सेनाओं के अधिकांश सैनिक मुख्यरूप से पैसे के लिए सेना जॉइन करते हैं विचारधारा के लिए नहीं। इसका प्रमाण अभी हाल में दिखा जब बीबीसी को एक मेजर ने कहा कि वह युद्ध से भागकर पोस्ट तक गया ताकि खुद को जख्मी साबित करे और उसे विकलांगता पेंशन मिल सके। क्या जिहादी पैसों के लिए आतंकी बनते हैं? नहीं जबकि विश्वभर की सेनाओं में ऐसा होता है। अमेरिकी सेना ने इतना युद्ध लड़ा फिर भी तालिबान को खत्म नहीं कर पाई। क्योंकि सेना युद्ध में आतंक की खरपतवार तो काट सकती है पर जड़ नहीं। क्योंकि जड़ एक आसमानी विचार है। इसलिए जिहादी आतंकवाद के खात्मे के लिए विचारधारात्मक उपाय अति आवश्यक है।


हिन्दू परिवारों में वीरों की कमी नहीं है हिन्दू दिलेर युवकों से भारतीय जेलें भरी पड़ी हैं। उन युवकों को धर्म की रक्षा के लिए आज का अर्जुन बनना चाहिए। धर्म के शत्रुओं को ढूंढ ढूंढ कर कुचल देना चाहिए और भगवान श्रीकृष्ण का परमप्रिय बन जाना चाहिए। अगर इस कार्य में प्राण भी जाए तो अमरत्व प्राप्त होगा। श्री कृष्ण का वाक्य क्या झूठा हो सकता है? जीत गए तो राज्य भोगोगे, वीरगति को प्राप्त हुए तो स्वर्ग को प्राप्त करोगे। पर जरूरत है अर्जुन को जगाने कृष्ण की और हनुमान को जगाने जामवन्तों की।

यह झूठ है कि हिंदुओं ने वीर जनने बन्द कर दिए हैं। दुर्भाग्य है कि अब कोई कृष्ण, चाणक्य, द्रोणाचार्य, या विद्यारण्य पराक्रमियों को ठीक दिशा नहीं देता। इसलिए जो जो हिन्दू-चिन्तक, हिन्दूहितैषी हैं उन्हें इन बहादुर पर भटके हुए युवाओं को राह दिखानी चाहिए कि नाम कमाओ, युवाओं के नेता बनकर उभरो।

चार इंच जमीन के लिए अपने ही भाइयों की खोपड़ी उडाना कोई मर्दानगी नहीं है। एक जिहादी गुंडे बदमाश हैं जो करोड़ों में खेलते हैं, फिर अपने दीनी भाइयों को ऊंचा उठाते हैं। और हिन्दुओं के बदमाश लड़के भूखे मरते हैं या गोली से मरते हैं। छिटपुट लड़ाइयों में अपना जीवन बर्बाद करते हैं पर बड़ा लक्ष्य नहीं सोचते। क्योंकि न ये समाज के साथ चलते हैं और न समाज इनके साथ चलता है।


अपराधियों का हिंदुत्वकरण कैसे किया जाए इस पर योजना बनानी चाहिए। क्योंकि अहिंसा की अफीम सूंघा हुआ कायर हिन्दू का पौरुष जगाना पहाड़ से पानी निचोड़ने जैसा काम है। जिनमें पहले से पौरुष है, उन्हें ठीक दिशा में मोड़ना अधिक सरल है। यहाँ अपराध के महिमामंडन की बात बिल्कुल नहीं है। अपराध गलत ही है, व सभी अपराधी सुधर भी नहीं सकते। केवल कुछ एक भी सुधर जाएं तो एक शक्ति का वातावरण तैयार हो सकता है। देश धर्म पर भयंकर आपत्ति देखकर पापी के मन में भी धर्मोदय होने की संभावना होती है।

इसलिए इस विषय पर गंभीरता से हिन्दू संगठनों को विचार करना चाहिए, नीति बनानी चाहिए। क्यों कि ये निश्चित है कि आने वाले बीस पच्चीस वर्ष में भारत में अस्तित्व का संघर्ष होगा। इसलिए हमेशा व्यक्तिगत तौर पर भी योगदान दें। निकट भविष्य में जो भी मोहल्ले का/कॉलेज का/जाति का/पहचान का उभरता डॉन दिखे, उनको थोड़ा इन विषयों को समझाए। ताकि समय पर उन्हें पता रहे कि तलवार किसकी गर्दन पर और गोली किसकी छाती पर चलानी है।

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