Venezuela नामक देश के बारे में सुना है, काफी बड़ा देश है। इतना बड़ा की हमारा पूरा UP, बिहार, पंजाब, हरियाणा, बंगाल उड़ीसा मिला दो, इससे भी बड़ा और जनसंख्या कितनी है? सिर्फ साढ़े तीन करोड़, मने दिल्ली NCR की आबादी से भी कम। भगवान का दिया सब कुछ है। क्या शानदार उपजाऊ जमीन है, प्रचुर वर्षा होती है। सैकड़ों छोटी बड़ी नदियां है। हज़ारों मील लंबा तो समुद्र तट ही है। इतनी उपजाऊ जमीन और इतना पानी होने के बावजूद देश मे आज वो भुखमरी फैली है कि आदमी आदमी को मार के खा रहा है।
देश मे खेती किसानी, फल सब्जी, dairy, poultry, fishing जैसा कुछ है ही नही। मने इतना बड़ा देश अपने लिए गेहूं, चावल, सब्जी नही उगा सकता? लाखों वर्ग किलोमीटर के तो चारागाह हैं ये नही की कुछ गाय, भैंस, भेड़, बकरी ही चरा ले मुल्क। नदियों समंदर में मछली की भरमार है, Venezuela फिर भी भूखा मर रहा है। मुद्रा स्फीति का ये हाल है कि बैग भर Bolivar भर के ले जाओ तो भी एक पाकिट bread का नही मिलेगा। Inflation की दर पिछले साल की तुलना में 16,98,488 % है। आज आपको एक भारतीय रुपये के बदले में 3607 Venezuela की मुद्रा Bolivar मिलेगी।
आपको ये जान कर भी आश्चर्य होगा कि Venezuela में दुनिया के सबसे बड़े कच्चे तेल के भंडार हैं, सऊदी अरबिया से भी बड़े। आपको ये जान कर भी आश्चर्य होगा कि आज से सिर्फ 20 साल पहले Venezuela एक विकसित और संपन्न राष्ट्र था पर इसके नेताओं की गलत नीतियों ने एक सम्पन्न राष्ट्र को सिर्फ 20 साल में भिखारी बना दिया। आज ये हाल है कि वेनेजुएला की अधिकांश लड़कियां Bread के सिर्फ एक टुकड़े के लिए अपना शरीर बेच रही है, वेश्यावृत्ति कर रही हैं।
एक अच्छा leader अपने देश को 20 साल में सिंगापुर बना सकता है और एक नालायक leader अपने देश को Venezuela बना देता है। क्या गलती की थी वेनेजुएला के Leaders ने। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद, जब पूरी दुनिया मे तेल की जबरदस्त demand थी और दाम आसमान छू रहे थे, Venezuela की पांचों उँगलियाँ घी में थीं। 1945 में ही देश रोज़ाना 1 Million Barrel तेल बना रहा था। सरकार ने अपने नागरिकों को खैरात बांटना शुरू किया। देश की हर सेवा सरकारी थी और हर सेवा Free थी।
तेल के बदले में दुनिया भर से सामान आता था, राशन, अनाज, फल, सब्जी, दवाइयां, मशीनरी, कपड़ा हर चीज़ Import ही होती थी। तेल के बदले में और सरकार अपने नागरिकों को सब कुछ फ्री देती थी। 50 और 60 के दशक में जब कि सारी दुनिया हाड़ तोड़ मेहनत कर उत्पादन Manufacturing में लगी थी, Venezuela में एक सूई तक न बनती थी और उनकी तो गोभी और टमाटर भी यूरोप से आती थी।
बहुत खूबसूरत देश है Venezuela पर यदि कोई Tourist भूला भटका आ भी जाता तो पूरे देश मे कोई उसको पानी पूछने वाला न था आमतौर पे ऐसे देशों में बाहर से विदेशी आ जाते हैं रोज़ी रोज़गार की तालाश में, पर चूंकि इस देश मे फ्री सेवा थी इसलिए सभी पार्टियां और जनता विदेशी लोगों के देश मे प्रवेश के खिलाफ थी कि हमारी मुफ्त सेवा का लाभ विदेशी क्यों लें। इसका नतीजा ये हुआ कि कोई नागरिक खुद तो कुछ करता नही था, खेती बाड़ी, कोई उद्योग धंदा और बाहर से लेबर ही import कर ले सरकार, ये होने नही देता था। इसलिए देश मे Tourism तक develop न हुआ। बताया जाता है कि 70 के दशक में अगर भूला भटका सैलानी अगर आ भी जाता तो ये उससे कहते FCUK off ।
फिर एक दिन तेल के दाम गिरने लगे सरकार की एक तेल कंपनी थी PDVSA सरकार ने कंपनी से कहा, सबको नौकरी दे दो। कंपनी बोली हुज़ूर हमको employee की ज़रूरत ही नही। सरकार बोली, फिर भी दे दो। इस तरह सरकार ने हर परिवार के कम से कम एक आदमी को सरकारी तेल कंपनी PDVSA में नौकरी दे दी जहां वो कोई काम नही करता था और मुफ्त की मोटी पगार लेता। फिर तेल के दाम और गिरे, अब जब तेल कंपनी बुरी तरह घाटे में आ गयी और तेल बिकना बंद हो गया तो खैरात भी बंद हो गयी। धीरे धीरे हर चीज़ की कमी होने लगी।
3.5 करोड़ मुफ्तखोर जिनने ज़िन्दगी में कोई काम नही किया था वो लूट खसोट करने लगे। लड़कियां सब वेश्यावृत्ति में उतर गई। समाजवादी सरकार फिर भी नही चेती। वो कर्ज़ा ले के घी पिलाने लगी अपनी मुफ्तखोर जनता को। आज राजधानी कराकास दुनिया का सबसे असुरक्षित शहर है जहां एक Bread के टुकड़े के लिए हत्या हो जाती है और लड़कियां सिर्फ एक पीस bread के लिए शरीर बेचती हैं। डेढ़ करोड़ बोलिवर में एक थाली खाना मिलता है।
1999 के बाद देश की ये दुर्दशा शुरू हुई। इतना बड़ा देश सिर्फ 3.5 करोड़ लोगों के लिए गेहूं चावल सब्जी दूध पैदा नही कर सकता? मैं कहता हूँ कि आज अगर वेनेजुएला की सरकार यहां पंजाब से सिर्फ 1000 किसानों को अपने यहां आमंत्रित कर ले और सिर्फ जरूरी मशीनरी दे दे तो सिर्फ 6 महीने में हमारे किसान इतना अनाज, सब्जी, फल और दूध पैदा कर देंगे कि पूरे वेनेजुएला से खाया न जाये। अकेला एक कपूरथला जिला इतना खरबूजा पैदा करता है कि पूरा North India खाता है।
सवाल है कि सरकार ने ये मुफ्तखोरी अपने नागरिकों को क्यों सिखाई? अपने देश की जनता को निकम्मा, नकारा, हरामखोर किसने बनाया? जब इतनी भुखमरी है देश मे तो भी क्या जनता अपने घर के पिछवाड़े घीया तोरी कद्दू के बीज सिर्फ डाल दे तो भी दो महीने में इतनी सब्जी हो जाएगी कि लोग उसको उबाल के खा के पेट भर लेंगे। पिछले 10 साल से भुखमरी है देश मे, न सरकार चेती न जानता?
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