राहुल
बाबा का 12000/ का चुनावी जुमला:-
Rahul Gandhi के वादे के इस झुनझुने को सही भी मानें और 5 करोड़ परिवार को मिनिमम 6000/ महीने की भी मदद देनी हो तो 30 हज़ार करोड़ रुपए चाहिए होंगे हर महीने। यानी साल का साढ़े तीन लाख करोड़ से ज़्यादा। पैसे उगाने का कोई पेड़ लगाने का इरादा है या कोई और स्कीम है? मजे की बात ये की भारत की कुल जीडीपी 121 लाख करोड़ रुपये है फिर कृषि और रक्षा तथा इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए कहाँ से पैसे आएंगे ?
मित्रों सोच विचार कर फैसला लेना क्योंकि मध्यप्रदेश में श्री Kamal Nath ने युवाओं को 4000 व छत्तीसगढ़ में श्री Bhupesh Baghel ने 2500 महीना देने का वायदा किया था और आज तक 1 नहीं दिया। प्यारे भाइयों क्या आप को याद है। कांग्रेस का वो बयान जिसमे कहा गया था कि 33 रुपये रोज कमाने वाला व्यक्ति गरीब नहीं है। तो फिर ये 72000 किसको देंगे और कहाँ से देंगे। यह सब विपक्ष की बौखलाहट है सत्ता के लिए बड़े-बड़े वादे कर रहे हैं मगर देश की सुरक्षा को लेकर कोई बयान नहीं करते कांग्रेस के खून में देशद्रोह है। यह हमें समझना चाहिए।
जब देस की 20% आबादी को 12000 रु हर माह फ्री मिलेगा तब कम से कम 25000 रु महीना के बिना देस की फैक्ट्री को लेबर ओर 1000 से 1200 रोज के बिना आपको दिहाड़ी लेबर नही मिलेगी ओर तब सरकारी पेय स्केल मिनिमम आपको 70000 रु से शुरू करना पड़ेगा जिसका असर प्राइवेट सेक्टर पर भी आएगा। ओर इन सबका कुल मिला के असर आएगा बाजार और डेली नीड्स की चीजों पर। 1 kg आटे की कीमत मिनिमम 90 से 100 रु होगी वो भी एवरेज क्वालिटी का। ओर जब जीडीपी का करीब 14% नॉन प्रोडक्टिव एक्टिविटी पर खर्च होगा तो देश की अर्थवेयवस्था के नुकसान का आप अंदाजा भी नही लगा सकते।72000/ सालाना 3.50 लाख करोड़ आप टेक्स पेयर्स से ही वसुलोगे क्योकि सब्सिडी तो आप केंसिल कर नही शकते।
जब 20% पब्लिक को इतना पैसा फ्री मिलेगा तो उनमें से 15% लोग कभी कोई काम नही करेंगे इसका असर अगली पीढ़ी ओर समाज पर क्या होगा ये एक अलग विषय है। भारत की परिश्रमी कौम आने वाली पीढ़ियों तक अकर्मण्य आलसी ओर अपराधी बनेगी। कांग्रेस बताए कि क्या वो इन सबकी जिम्मेदारी लेती है? आख़िर कांग्रेस कैसा भारत बनाना चाहती है? एक मेंटल पेशेंट को सर पर ढोती कांग्रेस देस को उस गर्त में डालना चाहती है जहा से भारत कभी नही निकलेगा।
इसके Long lasting परिणाम
लोग काम करना ही छोड़ देंगे और अगर करेंगे भी तो बैंक में ट्रांसेक्सन नही करेंगे जिससे यह साबित हो शके की वे भी गरीबी रेखा के नीचे आते है। गांवों में लोगो की हालत ऐसी होगी कि कोई मजदूर नही मिलेगा क्योकि हर महीने 6000 उनके खाते में आ जाएगा। (अगर 1000 महीने की इनकम होगी तो सरकार 11000/, उनके खाते में डालेगी) इस पैसों का यह लोग दुरुपयोग कर के किसी व्यसनों में लिप्त हो जाएंगे। चारो तरफ हाहाकर मच जाएगा। देश को यह योजना बर्बाद कर देगी। अगर ऐसा हुआ तो टैक्स पेयर्स सड़को पे उतरकर इसका विरोध करेंगे। देश मे अराजकता का माहौल हो जाएगा।
वैसे कांग्रेस के पास कोई पक्का फिगर्स भी नही है कि आखिर भारत मे कांग्रेस के क्राइटेरिया के नीचे आने वाले गरीब कितने है? और ना तो कोई पक्का आंकड़ा कोई सरकारी एजेंसीज के पास है। कांग्रेस ने 25 करोड लोगों का हवाला देकर अंधेरे में तीर मारा है। आप इतने पैसे लाओगे कहां से ? आज तक चैनल पर किसी अर्थशास्त्री के इस सवाल पर कांग्रेस प्रवक्ता संजय जा कह रहा था कि हम 12 लाख करोड़ बैंक का NPA यूज़ करेंगे, इन अक्कल के अंधो को कौन समजाय कि बैंकों का NPA सरकार को नही बैंकों को जाता है। आखिर इन पपुओ को कौन समझाएं की गरीबी काम करने से दूर होती है ना की किसी को लालच देने से। हां अगर बजेट बनाना है तो सेना के लिए बनाओ। देश को कमजोर मत करो।
आपका कूडा ले जाने वाला भी नही आयेगा आपको ख़ुद जाके फेंक के आना पड़ेगा। आप की बर्तन साफ़ करने वाली भी नही आयेगी आपको ख़ुद बर्तन साफ़ करना पड़ेगा। आपका घर साफ़ करने वाली भी नही आयेगी आपको घर भी साफ़ करना पड़ेगा। आपका खाना बनाने वाली भी नही आयेगी। किसी तरह सारा काम ख़त्म कर के आप बाहर निकलेगे पता चला ड्राइवर भी नही आया। आप बाहर रोड पे बस या आटो पकड़ने जाएँगे वो भी बंद मिलेगा क्योंकि उनको भी घर बैठ के 12 हज़ार मिलेगा।
किसी तरह आप पैदल आफिस पहुचें वहाँ गार्ड भी नही मिलेगा आफिस भी बंद आपको ख़ुद आफिस का सटर उठा के अंदर जाना होगा आफिस मे भी गंदगी फैली होगी क्योंकि वहाँ भी सफ़ाई वाला आज नही आया किसी तरह आप अपना काम निपटाएगे आपको भूख लगेगी आप कैटीन में जाएँगे वहाँ भी कोई नही मिलेगा आपको चाय भी ख़ुद बनानी होगी और नाश्ता भी खुदा बनाना होगा। किसी तरह काम ख़त्म करके आप आफिस से घर के लिए निकलेंगे सब्ज़ी वाला भी कोई नही मिलेगा क्योकी सबको घर पे बैठे 12 हज़ार मिल रहे हैं।
आप सापींग माल में जाएँगे वहाँ भी कोई गार्ड नही। समान सब इधर उधर बिखरा रहेगा क्योंकि कोई उसको व्यवस्थित करने वाला नही आया सबको घर बैठे 12 हज़ार मिल रहे हैं। सामान के दाम भी इतने महँगे हो जाएँगे की आप ख़रीद नही पायेंगे क्योंकि कंपनियो में भी कोई काम करने नही जायेगा और कोई किसान खेत में काम करने नही जायेगा अन्न भी पैदा नही होगा लोग भूखे मरने लगेंगे। क्योकी सबको घर बैठे 12 हज़ार मिलने लगे हैं और हाँ इन 25 करोड़ लोगों को ये 12 हज़ार देने के लिए आप पे से ही 80 या 90 प्रतिशत टैक्स लगाया जायेगा आप भी घर बैठ जाएँगे क्यों इतनी मेहनत करना जब सब सरकार ही ले ले रही हैं
आप भी 12 हज़ार के चक्कर में घर बैठ जाएँगे। देखते ही देखते ये 25 करोड़ ग़रीबों की संख्या 100 करोड़ पार कर जायेगी। कैसे चलेगा देश आप ही सोचिए । समस्या का हल ये नही की सबको 12 हज़ार दे दिया जाय सबको सक्षम बनाने पे ध्यान देना पड़ेगा सरकारो को तभी देश आगे बढ़ेगा ये लोक लुभावन वादों से देश नही चलेगा
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