शिर्डी साईं भगवान या एक और विधर्मी मांसाहारी मुस्लिम फ़क़ीर
साई बाबा की मार्केटिग आज से 30 - 40 साल पहले पर्चे बंटवाकर हुई थी। आपको याद होगा तब एक नया चलन सामने आया था। कुछ लोग जो की साईं की मार्केटिंग कागज़ के पर्चे छपवा कर करते थे, उन पर लिखा होता था की अगर आप इस पर्चे को पढने के बाद छपवा कर लोगों में बांटेंगे तो दस दिन के अन्दर आपको लाखों रूपये का धन अचानक मिलेगा।
फलाने ने 200 बांटे तो उसके मोटरसाईकिल मिली, फलाने ने 500 बांटे तो उसका खोया हुआ बेटा मिला, फलाने को नौकरी मिली, फलाने ने 1000 छपवाकर बांटे तो उसको मनचाही लड़की शादी के लिए मिली, फलाने ने 5000 छपवाकर बांटे तो वह दस फैक्ट्रियों का मालिक बन गया आदि आदि और अगर किसी ने पढ़कर इसको झूठ समझा तो दस दिन के भीतर उसका लड़का मर गया, फलाने ने फाड़ा तो उसका व्यापर चौपट हो गया, फलाने ने फैंक दिया तो उसको जेल हो गयी। फलाने ने झूठ माना तो उसका सारा कारोबार खत्म हो गया और भिखारी हो गया।
मित्रो 1987 से 1994 तक यह बहुत चला था। उसके बाद टी वी पर आने लगा, सीरियल बनाए जाने लगे, फिल्में बनने लगी, जब चैनल आये तब उन्हें कमाई की जरूरत थी, उन्हें लगा की जब पर्चे बांटकर लोग पैसा कमा सकते है तो हम क्यों नहीं कमा सकते ? साई का प्रचार लोभ और भय दिखाकर किया गया और भोली भाली जनता एक मुसलमान की मार्केटिग के जाल में फंस गयी और अपने मंदिरों का रुख छोड़कर साई पर धन लुटाने लगी।
एक मुस्लिम हिन्दू विरोधी जिहादी फकीर जो की लाखों अन्धविस्वासी पढ़े लिखे और मूर्ख लोगो, अखंड मुर्ख हिन्दुओ के द्वारा पूजा जाता है। लाखो पढ़े लिखे हिंदू एक ऐसे मुस्लिम मांसाहारी जिहादी हिन्दू विरोधी फकीर के अंध भक्त होकर पूजते है जिसे हम शिरडी के चाँदमिया उर्फ साईं बाबा के नाम से जानते है।
वो फकीर जो खुद एक मस्जिद में रहता था, मुस्लिम रीति से बकरा हलाल करके मांस खाता था, सबके सामने कुरान पढता था और एक ही संदेश देता था की मुझे मरने के बाद दफना देना, ना की जला देना, पर अधिकतर मुर्ख लोग उसे समझ नहीं पाए और उसे अपने भगवानो से ऊपर दर्जा देकर एक ऐसे मुर्दे को पूजते है जो स्वयं एक हिन्दू विरोधी पापी मुसलमान है। सिर्फ यही नहीं यह पाखंडी खुद को हिंदू देवी देवताओं का अंश बताता था स्वयं में नारायण, शिव, कृष्ण और राम जैसे देवी देवताओं के रूप में खुद की पूजा करवाता था पर हिंदुओं को मुर्दा बनाने के लिए पीठ पीछे छुरा भोकने का काम हिंदू मुस्लिम एकता की बात जरुर करता था।
ये एक पूरी तरह से एकतरफा कार्य है जिसमे सारा बलिदान केवल हिन्दुओ को ही देना पड़ता है जैसे की साईं राम, इस्लाम ग्रहण करना, खतना करवाना, मुस्लिम लड़के द्वारा हिंदू लड़की से शादी करना और हिन्दुओ के बड़े धार्मिक स्थलों में मुसलमानों को ऊँचे पद देना आदि और मुर्ख हिंदू इन बातो को मान भी लेता है बिना ये सोचे की परधर्म में जीना और उससे अपनाने पर लोक परलोक कही भी ठिकाना नहीं मिलता।
साईं का केवल एक ही उद्देश्य था जो किसी समय अजमेर के मुस्लिम संत ख्वाजा मुइनुद्दीन चिस्ती ने आरम्भ किया था। मुल्ला साईं का कार्य केवल उस परम्परा का निर्वहन करते हुए हिंदू को और मुर्ख बना कर इस्लाम के और समीप लाकर उनका मतांतरण कराना था। आज भी ९००(900) सालो की इस्लामी गुलामी के बाद हिंदू धर्म कुछ कमजोर अवश्य हुआ है और इसे दूर करने के लिए ऐसे पाखंडियों के पाखंड और षड्यंत्र को मिटाने की आवश्यकता है।
एक फिल्म आई थी अमर अकबर अन्थोनी, बहुत ही बढ़िया थी, उसमे एक गाना था जिसके बाद एक पाखंडी बहुत प्रसिद्ध हो गया था, फिल्म में गाना चलता है, गाना चलते हुए एक वृद्ध महिला अपने प्राण बचने के लिए भागती है और भागते भागते एक मंदिर में पहुच जाती है, जहा एक मुसलमान साईं की भक्ति करता है, वैसे एक बात सोचने लायक है, ज़िन्दगी भर भगवान राम और कृष्ण को पानी पी पी कर गाली देने वाले मुसलमान आखिर साईं राम कैसे बोल लेते है, जो अपनी माँ के सगे नहीं होते वो साईं को अपना कैसे मान लेते है।
जो हर मूर्ति पूजा करने वाले को मार डालने की बात को अल्लाह का हुकम कहते है वो ऐसे फकीर को क्यों मानते है, समझदार समझ गया है और बेवकूफ यही कहेगा की हिन्दू मुसलमान को मत लड़ाओ, अब ऐसे लोगो को फिर इतिहास बता कर मैं अपना समय ख़राब करूँगा, पर ऐसा नहीं होगा क्युकी आज की ये पोस्ट साईं के चमत्कारों का भंडा फोड़ने और खुद को हिन्दू और साईं भक्त साथ कहने वालो का असली सेकुलर चेहरा दिखने के लिए है।
तो मित्रो वो वृद्ध महिला जो अंधी होती है, उसकी आँखों में एक ज्योति साईं की आँखों से निकल कर समां जाती है और उसे दिखना शुरू हो जाता है, ऐसे बहुत से चमत्कार है जिसे साईं भक्त देख कर चकित हो जाता है और अनायास ही साईं को अपना भगवान मान लेता है, तो पहला भांडा फूटता है साईं के सिरिअल का, सिरिअल में एक सीन आता है की कुछ लोग एक गड्ढा खोदते है और खोदते समय उसमे से चार दिए निकलते है लोग उसे देख कर साईं का जयकारा लगते है और मन ही मन साईं की स्तुति करने लगते है।
ऐसा ही एक चमत्कार है साईं के द्वारा दिपावली के दिन पानी से दिए जलना, मैंने तो आज तक माता ज्वाला जी के यहाँ ही पानी में जोत देखि है, जो ५००(400) सालो से वही विराजित है, तो साईं भक्ति करने वाले अंध भक्त बताये की कहा गये वो दिए जो साईं ने पानी से जलाये थे, पानी ख़तम हो गया था या सोडियम, जी हाँ ये चमत्कार तो हमने भी किये थे दसवी क्लास में साइंस के प्रक्टिकल में, तो क्या में भी भगवान् हो गया।
अब आगे चलते है साईं की भभूती पर, बहुत से लोग कहते है की साईं की भभूती से लोग ठीक होते है, तो मित्रो ऐसी एक भभूती तो सत्य साईं भी निकलता था, उसे भी लोग भगवान मानते थे पर भंडा फूटने के बाद उसने ये चमत्कार छोड़ दिया, ऐसा ही एक चमत्कार है गरम खाने के बर्तन में हाथ डाल देना, तो अन्धो अगर साईं ने कोई लेप किया हो तो क्या ऐसे में उसके हाथ जले होंगे, मैं दावे से कह सकता हु की साईं के समय में यदि फोटो कैमरा के साथ विडिओ कैमरा भी आ जाता तो आज ये पाखंड दिखने वाले के इतने भक्त न होते, और न ही साईं के नाम पर पैसा कमाने के लिए धर्म के ठेकेदार धर्म को हानि न पहुचाते।
यही नहीं बहुत से भक्त कहते है की साईं की पूजा करके ये मिला वो मिला, कृपा हो गयी सुख मिल गया, तो कृपा तो हमारे निर्मल बाबा भी बाँट रहे है, उनको क्यों बेकार में बदनाम कर रहे है, वो भी तो कमाना चाहते है, उसके पेट पर क्यों लात मारी है, इसका ये मतलब नहीं की मैं निर्मल बाबा का भक्त हु मैं हर उस पाखंड के खिलाफ हु जिसके कारण आज सनातन धर्म की दुर्गति हो रही है।
साईं के मंदिरों के नाम पर हजारो करोड़ो भक्तो को बेवकूफ बना कर उन्हें लूटा जा रहा है, जिसे देखो साईं साईं, ये देश राम का है कृष्ण का है, इन पाखंडी बाबाओ का देश नहीं है, वो सिर्फ इस देश को लूटना चाहते है, कृपा का धंधा बहुत जोरो पर है, इसलिए सभी मित्रो से विनती है की ऐसे पाखंडियो को समझे और किसी के कहने पर भगवान् न बनाये। चलते फिरते भगवान बनाने की इस प्रथा को बंद करे, सती प्रथा ख़तम हो गयी, पर्दा प्रथा भी दम तोड़ रही है, दुनिया चाँद पर पहुच गयी है और आप ऐसे पाखंडियो को भगवान् कह कर अपने कुल और नाम को मिटटी में मिला रहे है।
समझे और दुसरो को भी समझाए। उसी बात पर साईं की एक और असलियत आपको बताता हु। आज मैंने रास्ते में साईं की एक पालकी देखि, साईं की पालकी के आगे पीछे, लोग बदहवास नाच गा रहे थे, जैसे इससे बड़ा महात्मा परमातम कोई नहीं है, वही दूसरी और भगवान जगन्नाथ की भी रथ यात्रा निकल रही थी, भक्त भगवान के रथ को खीच रहे है थे और आपने पापो का प्रायश्चित कर रहे थे। दोनों यात्राओं में एक भिन्नता थी, साईं की पालकी को सड़क खड़े लोग प्रणाम भी कर रहे थे और पालकी के पास जाकर पैसे चढ़ा रहे थे जबकि जगन्नाथ भगवान की पालकी पर दूर से प्रणाम जैसे किनारा करने का मन हो।
अब यही से शुरू होता है साईं और अन्य सनातनी भगवानो में श्रद्धा का अंतर, पहले शुरू करता हु भगवान तिरुपति से – फरवरी महीने में मैंने पंजाब केसरी की एक खबर पढ़ी थी की साईं की चरण पादुका को तिरुपति देवस्थानम ने मंदिर परिसर में आने से रोका, हुआ ये की साईं ट्रस्ट साईं की चरण पादुका को तिरुपति देवस्थानम ले जाना चाहता था ताकि वह के साईं भक्तो को उनके दर्शन करने का अभाग्य मिले, पर तिरुपति देवस्थानम ने ये कह कर मन कर दिया की साईं को चाहे लाखो लोग भगवान् माने पर असल में वो एक आम इंसान ही था और जिस व्यक्ति का वेद पुराणों में वर्णन न हो उसे किसी और के कहने पर भगवान कैसे मान लिया जाए?
भगवान राम की महिमा – भगवान श्री राम का जनम और उनकी जीवन कथा सभी जानते है, उन्होंने बहुत से राक्षसों का वध किया और धरती को उनके बोझ से मुक्त किया, पुरे चित्रकूट और दंडक वन में राक्षसों का भय था जो भगवान राम ने समाप्त किया और फिर रावण को मार कर तीनो लोको में शांति स्थापित करके धर्म पताका फहराई।
भगवान कृष्ण – कृष्ण भगवान् ने भी ऐसे ही न जाने कितने राक्षसों को मार कर धर्म की रक्षा की, तड़का को मारा, बाणासुर के अत्याचार को ख़तम किया, कंस का संहार किया और महाभारत के युद्ध में धर्म की रक्षा की यहाँ तक की धर्म के लिए उनका अपना वंश भी ख़त्म हो गया।
भगवान शिव – भोले नाथ तो है ही सबको प्रिय, मक्का में भी भगवान काबा है और अमरनाथ में भी, पूरी दुनिया एक तरह से भोले शंकर को ही प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में भगवान मान कर पुजती है, विष पीकर संसार की रक्षा की, खुद राख लपेट कर बैठे रहते है पर औरो को धन धान से परिपूर्ण रखते है, ग्यारह रूद्र सभी जानते है, पर क्या इनमे कही साईं का नाम है? नहीं।
भगवान विष्णु – दुनिया के पालक और सर्जनकर्ता, भगवान विष्णु के सभी दसो अवतार सभी जानते है हर अवतार ने किसी न किसी रूप में अधर्म का नाश करके धर्म की स्थापना की है, पर क्या किसी अवतार में साईं का नाम है? नहीं।
इन सभी के जरिये मैंने ये तो साबित कर दिया की साईं का किसी अवतार में कोई स्थान नहीं है, तो क्या हम किसी भी ऐरे गिरे चलते फिरते को ऐसे ही भगवान मान लेते है, जो सुख साईं की भक्ति करके मिलता है क्या वो ऊपर दिए इन भगवानो की भक्ति से नहीं मिलता, यदि ये सभी भगवान सच्चे है तो उतार दो अपनी आँखों से साईं का पट्टा और फेक दो उनकी समाधी को अरब सागर में, अगर नहीं कर सकते तो फिर कभी इन भगवान् के साथ साथ साईं का नाम मत लगाना, या तो इनको अपने घरो में रखो या साईं को, फैसला आपका नहीं। अब भी नहीं समझे तो तुम्हारी आने वाली पीढ़ी कब्र में ही जाएगी !
" मुसलमान के आगे सर झुकाना " वो काम जो मुगलों की लाखों हत्यारी तलवारें न करा सकीं । वो एक शिर्डी वाले साई के एक गाने ने और गपोड़ों ने कर दिया। रेले के रेले चले जा रहे हैं शिर्डी में उस मुसलमान के आगे सिजदा करने। मोमिन कितना ही कष्ट पा ले पर अल्लाह का दामन छोड़ने को तैयार नही होता और करोड़ों हिन्दुओं का ऐसा घोर पतन हो चुका है।
प्रिय पाठक लेख कैसा लगा। अगर इस लेख के बारे मे आपके पास कुछ सुझाव या जानकारी हो तो अवश्य बताए। कमेंट व शेयर जरूर करे।
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Dharma